अंटार्कटिका की मोटी बर्फ के नीचे कौन रहता है?

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Antarctica facts

अंतरिक्ष से देखने पर हमारी धरती नीले रंग की नजर आती है, क्योंकि यहां 71 प्रतिशत हिस्से में पानी ही पानी है। लेकिन इतना पानी होने के बावजूद भी हम उसे पी नहीं सकते, क्योंकि वह समुद्रों का खारा नमक वाला पानी होता है। आज इंसान ने विज्ञान के क्षेत्र में काफी तरक्की कर ली है और नए नए प्रयोगों के माध्यम से दुनिया के रहस्य खोजने में लगा है। लेकिन अब भी धरती पर कुछ ऐसे रहस्य और सवाल मौजूद हैं, जिनके जवाब किसी के पास नहीं हैं। ऐसी ही एक रहस्मयी लेकिन रोचक जगह है अंटार्कटिका, जिसका वातावरण, मौसम और तापमान इंसानों के लिए न सुलझ पाने वाला सवाल बन चुका है। तो आइए जानते हैं कि आखिर अंटार्कटिका (Antarctica) की मोटी बर्फ के नीचे कौन रहता है?

अंटार्कटिका (Antarctica)

अंटार्कटिका धरती का वह कोना है, जहां हड्डियों को गला देने वाली ठंड पड़ती है, इस जगह को साउथ पोल के नाम से भी जाना जाता है। एक ऐसी जगह जहां दूर दूर तक सिर्फ बर्फ की मोटी चादर दिखाई देती है, जहां जीवन की कल्पना कर पाना भी बहुत मुश्किल लगता है। इस जगह पर इंसानी बस्तियां होना लगभग नामुमकिन है, क्योंकि यहां का तापमान और ठंड आपके बर्दाश्त के बाहर है।

अंटार्कटिका में पिछले 14 लाख सालों से बारिश की एक बूंद भी नहीं गिरी, लेकिन बावजूद इसके यहां दुनिया का 80 प्रतिशत साफ पानी मौजूद है। वैज्ञानिक काफी समय से तकनीकी का इस्तेमाल करके अंटार्कटिका के रहस्य और उससे जुड़े सवालों का जवाब खोज रहे हैं। 14.2 मिलियन के क्षेत्रफल में फैले अंटार्कटिका के ऊपर से कोई भी यात्री जहाज नहीं गुजरता है, जिसकी वजह है यहां का बेहद सर्द और कभी भी बदल जाने वाला मौसम।

लंबे समय तक इस जगह के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं थी जिसके बाद साल 1820 में रूसी अभियानकर्ता यानि एक्सप्लोरर मिखाइल पेट्रोविच लाज़ारेव (Admiral Mikhail Petrovich Lazarev) और फैबियन गॉटलिएब वॉन बेलिंगशौसेन (Fabian Gottlieb von Bellingshausen) ने अंटार्कटिका को दुनिया के सामने लाने में अहम भूमिका निभाई थी। लेकिन उस समय इसे आधिकारिक नाम नहीं दिया गया। हालांकि बाद के कुछ वर्षों में अंटार्कटिका दुनिया की लिए सबसे रहस्मयी जगह बन गई।

iceberg Antarctica
Credit: Globalgoose

इस जगह पर कोई भी स्थानीय निवासी नहीं है, इसलिए इसे ठंडा रेगिस्तान कहा जाता है। जहां पेंगुइन, सील, निमेटोड, टार्डीग्रेड और पिस्सू जैसे ठंड में रहने वाले 203 प्रजातियों के जीव पाए जाते हैं। अंटार्कटिका में इंसान स्थाई रूप से नहीं रह सकते, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इस जगह पर कुछ भी नहीं है।

दरअसल अंटार्कटिका (Antarctica) में एक Nuclear Power Station है, जिसका नाम मैकमरडो स्टेशन (McMurdo Station) है । यह पावर स्टेशन साल 1962 से चल रहा है। इसके अलावा यहां Murdo नामक एक फायर स्टेशन भी है। तकनीकी रूप से देखा जाए तो अंटार्कटिका में पृथ्वी के सारे टाइमजोन मिलते हैं। यहां सभी देशांतर रेखाएं (Longitude lines) जो टाइमजोन को परिभाषित करने के लिए उपयोग की जाती हैं, इस महाद्वीप के दोनों ध्रुवों पर मिलती हैं।

बर्फ से ढके अंटार्कटिका में बड़े-बड़े ग्लेशियर मौजूद हैं, जिन्हें Ice Sheet कहा जाता है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिर अंटार्कटिका की बर्फ के नीचे कौन रहता है, क्या वहां उस जीवन की संभावना है जिसमें आम इंसान रहते हैं।

अंटार्कटिका की बर्फ के नीचे की दुनिया

अंटार्कटिका (Antarctica) में किसी दूसरे जीव या इंसान का रह पाना नामुमकिन है, क्योंकि यहां का तापमान खून को जमा देने वाला साबित होता है। इसके अलावा इस जगह पर पोषक तत्व से युक्त उपजाऊ मिट्टी भी नहीं है, जिसमें विभिन्न प्रकार की वनस्पति फल फूल सके।

वैसे तो अंटार्कटिका बर्फ का रेगिस्तान कहलाता है, लेकिन इस जगह बहुत से गुप्त स्थान मौजूद हैं, जहां विभिन्न रूपों में जीवन हो सकता है। लंबे समय तक वैज्ञानिकों को इस बात का अनुमान नहीं था कि अंटार्कटिका की बर्फ में 2 किलोमीटर नीचे जीवन मौजूद होगा।

बीते कुछ सालों में वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने रडार और सैटेलाइट के जरिए अंटार्कटिका की बर्फ के नीचे जीवन की तलाश शुरू की, जिसमें ऐसे सबूत मिलते कि यहां जीवन मौजूद है। शोध से पता चलता है कि अंटार्कटिका की बर्फ के नीचे तरल पानी की झीलें मौजूद है, अब तक इस जगह पर सिर्फ 400 जमी हुई झील खोजी गई थी। ऐसे में तरल झीलों का मिलना वैज्ञानिकों के लिए जिज्ञासा का विषय बन गया।

वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर अंटार्कटिका में तरल झीलें मौजूद है, तो वह कहीं न कहीं, किसी न किसी रूप में हवा और सूर्य के संपर्क में आई होगी। अगर पानी तरल मौजूद है तो वहां प्रागैतिहासिक काल के जीव भी मौजूद होंगे, जो अंटार्कटिका की बर्फ के नीचे नए प्रकार के जीवन को अपनाने में कामयाब हो गए होंगे।

Penguins
Credit: mobile.abc.net

इन गुप्त झीलों की खोज करने और उन तक पहुंचने के लिए दुनिया के अलग-अलग देशों ने मिशन शुरू किए। जिसके तहत जमी हुई Ellsworth झील पर काम शुरू किया गया, लेकिन वहां कोई तरल झील खोजी नहीं जा सकी। जिसके बाद रूस के वैज्ञानिकों ने Vostok झील पर ड्रिलिंग करके तरल पानी को खोजने की कोशिश की, लेकिन उन्हें भी कोई ठोस सबूत नहीं मिला।

बाद के कुछ सालों में अमेरिका के वैज्ञानिक, Whillans झील पर एक परियोजना के तहत काम कर रहे थे, इस दौरान वह तरल पानी तक पहुंचने में कामयाब हो गए। उन्होंने इस जगह से पानी के नमूने इकट्ठा किए, जिसमें विभिन्न प्रकार के जीवों की खोज की गई।

शोध से पता चलता है कि अंटार्कटिका (Antarctica) के प्रति लीटर पानी में 1 लाख 30 हजार जीवित कोशिकाएं मौजूद हैं, जो सामान्य समुद्र में मौजूद जीवन से मिलता-जुलता है। इसके अलावा अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इस पानी में बिना सूर्य की रोशनी के जीवित रहने वाले बैक्टीरिया की 4 हजार प्रजातियों को खोजने में सफलता हासिल की है।

वैज्ञानिकों ने इन तरल झीलों में इस प्रकार के जीवन की कल्पना नहीं की थी, लेकिन प्राकृति के आगे तकनीक बहुत छोटी लगती है। बेहद ठंडा मौसम होने के बावजूद अंटार्कटिका में लगभग 1,150 प्रकार की अलग-अलग प्रजातियों के कवक (fungi) फंगी पाए जाते हैं।

Antarctic fungi
Credit: labnews.co

अंटार्कटिका (Antarctica) पर पानी की झील में जीवन की खोज कर रहे वैज्ञानिकों का कहना है कि यहां मौजूद सूक्ष्म जीव और टुंड्रा वनस्पति को जीवित रहने के लिए सीधे सूर्य के प्रकाश की जरूरत नहीं है। वह बर्फ की चादर के जरिए छन कर आने वाली हवा से ऑक्सीजन सोख लेते हैं, जबकि ऑर्गेनिक पदार्थों का इस्तेमाल भोजन के रूप में करते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह सूक्ष्म जीव अंटार्कटिका में तब से मौजूद हैं, जब यह इलाका सामान्य था और बर्फ से ढका हुआ नहीं था।

आपको बता दें कि तकरीबन 53 लाख साल पहले अंटार्कटिका (Antarctica) बहुत गर्म स्थान हुआ करता था, जिसके किनारों पर खजूर के पेड़ आसानी से उग जाते थे। अंटार्कटिका में सूक्ष्म जीवों और वनस्पति की खोज से वैज्ञानिकों के बीच एक उम्मीद जगी है कि वह इस इलाके में और भी कई प्रकार के रहस्यों को सुलझा सकते हैं। इस जगह पर ठंडे तापमान, बिना सूर्य की रोशनी और विभिन्न परिस्थितियों में जीवन का होना अपने आप में बेहद रोचक बात है।

अंटार्कटिका में जीवन पनपने के दूसरे स्थान

बर्फ के नीचे तरल झील के अलावा अंटार्कटिका में सूक्ष्म जीवों के पनपने की अन्य जगहें भी मौजूद हैं, जिसमें सक्रिय ज्वालामुखी का नाम शामिल है। वैज्ञानिकों के अनुसार अंटार्कटिका (Antarctica) में मौजूद सक्रिय ज्वालामुखी के आस-पास स्थित बर्फ की गुफाओं के अंदर जीवन हो सकता है। उनका मानना है कि ज्वालामुखी के आस-पास बड़ी और घुमावदार गुफा प्रणाली मौजूद है, जिसके अंदर का तापमान काफी गर्म होता है। इन गुफाओं के अंदर केवल टी-शर्ट पहन कर भी घूमा जा सकता है।

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Credit: curiosmos

इन गुफाओं का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस है, जहां सूक्ष्म जीव, पोषक तत्वों से भरपूर मिट्टी और कुछ जीवों के नमूने भी मिलते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि ज्वालामुखी की गर्मी से इन गुफाओं के अंदर का तापमान विभिन्न प्रकार की वनस्पति और जीवों के पनपने के लिए बिल्कुल उपयुक्त है। हालांकि इस जगह पर किस प्रकार के जीव और पेड़-पौधे फल फूल रहे हैं, जिसकी जानकारी प्राप्त करने के लिए एक बड़े शोध की जरूरत है।

अंटार्कटिका (Antarctica) में कई सक्रिय ज्वालामुखी मौजूद हैं, जहां कई प्रकार की गुफा प्रणाली होने की संभावना जताई जा रही है। अगर इन गुफाओं में रहने लायक वातावरण होगा तो निश्चित तौर पर वहां जीव-जंतु और पेड़-पौधे उग सकते हैं। भले ही इस जगह पर जीवन अभी बैक्टीरिया के रूप में मौजूद है, लेकिन यह जीवन की नई परिभाषा को व्यक्त करते हैं।

Active Volcano Antarctica
Credit: nationalgeographic

अब तो आप समझ ही गए होंगे कि अंटार्कटिका की बर्फ के नीचे एक नई और जीवित दुनिया फल फूल रही है, जो जल्द ही हम सभी के सामने होगी। ग्लेशियर और ठंडे तापमान के बीच इस तरह की प्राकृतिक वनस्पति और जीवों का पनपना वैज्ञानिकों के लिए बहुत बड़ी खोज और उपलब्धि साबित हो सकता है। अब देखना होगा कि आने वाले समय में अंटार्कटिका को लेकर कौन से रहस्य सामने आते हैं। क्या आपको लगता है कि सच में अंटार्कटिका में जीवन संभव है, अपना जवाब कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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