वर्गीज कुरियन की वजह से भारत में बही थीं दूध की नदियां!

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verghese kurien

Reasons Behind Amul’s Success Story In India

आपने ‘अमूल’ का नाम तो सुना ही होगा ? ये वो ब्रांड है  जो डेयरी प्रोडक्ट्स खास कर मक्खन के लिए सबसे पहले हमारे दिमाग में आता है? क्या आप जानते हैं कि ये किसकी देन है ? डॉक्टर वर्गीज कुरियन.. जी हां .. दूध की कमी से जूझने वाले भारत  को दुनिया का सर्वाधिक दूध उत्पादक देश बनाने के पीछे इन्हीं की अहम भूमिका थी।जो फादर ऑफ़ द वाइट रेव्लुशनऔर ‘मिल्कमैन ऑफ इंडिया’ के नाम से मशहूर हुए । इसके साथ ही वो एक सफल businessman भी थे। इतना ही नहीं कुरियन दुनिया के पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होनें भैंस के दूध से पाउडर बनाने का कारनामा कर दिखाया था । इससे पहले सिर्फ गाय के दूध से ही पाउडर बनाया जाता था।

प्रारंभिक पढ़ाई और कॉलेज

 कुरियन का जन्म 26 नवंबर 1921 को केरल के कोझिकोड में एक सीरियाई क्रिस्चन परिवार में हुआ । 1940 में वर्गीज ने ,लॉयला कॉलेज (Loyola College )से  science के साथ physics में graduation किया । इसके बाद  1943 में College of Engineering, Guindy से mechanical engineering की  डिग्री ली। जिसके बाद उन्होने कुछ समय के लिए जमशेदपुर के टिस्को यानी Tata Iron and Steel Company Limited में काम किया। भारत सरकार की ओर से  कुरियन को डेयरी इंजीनियरिंग में अध्ययन करने के लिए स्‍कॉलरशिप दी गई। बंगलुरु केImperial Institute of Animal Husbandry में विशेष प्रशिक्षण लेने के बाद वो अमेरिका गए। 1948 में उन्होंने Michigan State University से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में अपनी मास्टर डिग्री हासिल की, वहां भी  डेयरी इंजीनियरिंग उनका एक विषय था।

अमूल की नींव

14 दिसंबर 1946 को कुरियन ने KDCMPUL यानी Kaira District Co-operative Milk Producers’ Union की नींव  डाली। त्रिभुवनदास पटेल, इसके संस्थापक और चेयरमैन बने। डॉक्टर कुरियन KDCMPUL को कोई सरल और आसान नाम देना चाहते थे । कर्मचारियों ने अमूल्य नाम सुझाया, जिसका मतलब ‘अनमोल’ होता है । बाद में इस को ओपरेटिव का नाम अमूल हो गया ।अमूल की सफलता को देखते हुए ,  1965 में प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने अमूल मॉडल को दूसरी जगहों पर फैलाने के लिए राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड (NDDB) का भी  गठन किया । वर्गीज कुरियन को इस बोर्ड का अध्यक्ष बनाया।

ऑपरेशन फ्लड

एनडीडीबी(NDDB) ने 1970 में ‘ऑपरेशन फ्लड’ की शुरुआत की। जिसके तहत  भारत, दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बन गया। कुरियन ने 1965 से 1998 तक 33 साल NDDB के अध्यक्ष के तौर पर सेवाएं दीं । वे 1973 से 2006 तक गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड के प्रमुख भी रहे  और 1979 से 2006 तक इंस्टीट्‍यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट के अध्यक्ष रहे।

मिल्कमैन ऑफ इंडिया

ये तो हुई उनके करियर और संघर्ष की बात अब आपको उनके जीवन से जुड़ी एक दिलचस्प बात बताते है जिसे जानकर आपको हैरानी होगी । भारत में ‘श्वेत क्रांति जनक और ‘मिल्कमैन ऑफ इंडिया’ के नाम से मशहूर वर्गीज कुरियन  , खुद दूध नहीं पीते थे। वो कहते थे, कि ‘‘मैं दूध नहीं पीता क्योंकि मुझे यह अच्छा नहीं लगता।’’

टेस्ट ऑफ इंडिया

लेकिन खुद दूध ना पीने वाले इस शख्स ने अपनी मेहनत औऱ संघर्ष से भारत में दूध की नदियां बहा दी । उनकी लगन और कड़ी मेहनत के लिए उन्हें कई बड़े पुरस्कार और सम्मान भी मिले। 1963 में कुरियन को  रैमन मैग्से का पुरस्कार मिला फिर  भारत सरकार ने उन्हें 1965 में पद्म श्री से नवाजा।  1989 में  उन्हें वर्ल्‍ड फूड प्राइज का पुरूस्कार दिया गया ।  यही नहीं भारत सरकार ने फिर से  कुर्नियन को 1999 में  पद्म विभूषण से  सम्मानित किया। 1993 में उन्हें अमेरिका में  इंटरनेशनल पर्सन ऑफ द ईयर  भी चुना गया। 2012 में  वर्गीज कुरियन ने 90 साल  की उम्र में  दुनिया को अलविदा कह दिया। तो ये थी  अमूल को टेस्ट ऑफ इंडिया बनाने वाले ‘वर्गीज कुरियन’ की कहानी।

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