हमारी आकाशगंगा में हैं कम से कम 36 सक्रिय सभ्यताएं

0
alien civilizations on mars

आसमान में देखते हुए अक्सर आपको भी यह ख्याल आता होगा कि काश हम भी उस ऊंचाई तक पहुंच पाते, जहां चांद और सितारे मौजूद हैं। किस्से-कहानियों में यह चांद सितारे हमारे कितने करीब लगते हैं, लेकिन असल में इनकी दुनिया काफी विशाल और अनोखी होती है। जिसके बारे में आप और हम नहीं जानते। विज्ञान की नजर से देखें तो यह आसमान, अंतरिक्ष है, जबकि उसमें नजर आने वाले तारे स्वयं-प्रकाशित खगोलीय पिंड होते हैं, जो गैस से मिलकर बनते हैं। विज्ञान की नजर से देखें तो अंतरिक्ष और उसमें मौजूद हर वस्तु का अपना एक महत्व है, जो किसी न किसी प्रकार धरती से जुड़ा होता है। यह भी माना जाता है कि अंतरिक्ष में आकाशगंगा यानि Milky Way मौजूद है, जिसमें हमारा सौर मंडल भी आता है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस आकाशगंगा में कई सक्रिय सभ्यताएं हैं। शायद नहीं… पर विज्ञान के प्रति रूचि रखने वाले लोगों के लिए यह खबर काफी रोचक हो सकती है। हाल में द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि हमारी आकाशगंगा (Milky Way) में कम से कम 36 सक्रिय, बुद्धिमान और संचार करने वाली सभ्यताएं हो सकती हैं। लेकिन समय और दूरी की वजह हम यह पता नहीं लगा सकते है कि क्या वह हमेशा अस्तित्व में थीं या नहीं। आकाशगंगा को लेकर किए गए इस शोध को खगोलविद वैज्ञानिक फ्रैंक ड्रेक (Frank Drake) के समीकरण के आधार पर तैयार किया गया है।

drake equation
Credit: javier sierra

36 सक्रिय सभ्यताएं

दरअसल फ्रैंक ड्रेक (Frank Drake) ने एक समीकरण तैयार किया किया था, जिससे यह गणना की जा सकती है कि आकाशगंगा में कितने Communicating Extra-Terrestrial Intelligent (CETI) सभ्यताएं हो सकती हैं। हालांकि वैज्ञानिकों को इसकी कई परिभाषाओं के बारे में अभी भी स्पष्ट जानकारी नहीं है। वहीं सभ्यताओं की संभावित संख्या की गणना करने के लिए दूसरे तरीके खोजे जा रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि ड्रेक समीकरण के आधार पर हमारी और पूर्व में की गई गणनाओं में जरूरी अंतर यह है कि हम इस बारे में बहुत सरल धारणा बनाते हैं कि जीवन कैसे विकसित हुआ।

उन्होंने कहा कि उनमें से एक यह है कि जीवन वैज्ञानिक तरीके से बनता है यानि अगर सही परिस्थितियां होंगी तो जीवन की उत्पत्ति होगी। इसमें वह कठिन सवाल नहीं हैं कि किसी तारे के रहने योग्य क्षेत्र में ग्रहों का कौन सा भाग जीवन का निर्माण करेगा? इन सवालों के जवाब तब तक नहीं दिए जा सकते, जब तक कि हम वास्तव में जीवन का पता नहीं लगा लेते और हम अब तक इस काम में सफलता हासिल नहीं कर पाए हैं।

इन वैज्ञानिकों ने आकाशगंगा में जीवन पर कमजोर और मजबूत सीमाएं स्थापित करने के लिए Astrobiological Copernican Principle विकसित किया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इन समीकरणों से गैलैक्सी में तारों के निर्माण और उनकी उम्र का पता चलता है। इससे तारों की धातु सामग्री का भी पता चलता है। साथ में इस बात का भी पता लगाया जा सकता है कि क्या खगोलीय पिंड (celestial body) पृथ्वी जैसे रहने योग्य ग्रह को पोषित कर सकते हैं या नहीं।

celestial bodies
Credit: indastro

आकाशगंगा को लेकर किए गए इस अध्ययन के बारे में कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि दो खगोल शास्त्रीय कोपर्निकन सीमाएं 5 अरब वर्ष बाद जीवन को उत्पन्न करेंगी। आपको बता दें कि पृथ्वी में भी 4.5 अरब वर्षों के बाद एक संचार सभ्यता निर्मित हुई थी। Astrobiological Copernican सिद्धांत कहता है कि गैलैक्सी में जिस तरह पृथ्वी पर बुद्धिमान जीवन विकसित हुआ तो इसी तरह कहीं और भी जीवन विकसित होगा।

वैज्ञानिकों और लेखकों की मानें तो आकाशगंगा में मौजूद 36 सभ्यताओं में से हर एक की औसत दूरी लगभग 17,000 प्रकाश वर्ष है, इसलिए वर्तमान में सभी सभ्यताओं का पता लगाना और उससे संचार कर पाना असंभव है। यहां एक और जटिल सवाल यह भी है कि इन सभ्यताओं का जीवन कितना लंबा होता है?

शोध का नेतृत्व करने वाले नॉटिंघम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर क्रिस्टोफर कन्सलिस ने कहना है कि अतिरिक्त-स्थलीय बुद्धिमान सभ्यताओं की खोज से न केवल यह पता चलता है कि जीवन कैसे बनता है, बल्कि यह, ये बताने में भी सक्षम होते हैं कि हमारी सभ्यता कितने समय तक चलेगी। अगर हमें पता चल जाए कि ये बुद्धिमान जीवन आम है, तो इससे पता चलेगा कि हमारी सभ्यता कुछ सौ वर्षों से ज्यादा समय तक मौजूद रह सकती है। लेकिन अगर हमें पता चलता है कि हमारी आकाशगंगा में कोई सक्रिय सभ्यता नहीं हैं, तो यह हमारे दीर्घकालिक अस्तित्व के लिए एक बुरा संकेत हो सकता है। आपको बता दें कि आकाशगंगा और वहां सक्रिय सभ्यताओं को लेकर किया गया यह शोध अभी अपने शुरुआती चरण में हैं, इसलिए इस पर कोई भी जटिल राय दे पाना वैज्ञानिकों के लिए संभव नहीं है।

वैज्ञानिक अंतरिक्ष से जुड़े कई तरह के शोध करते रहते हैं ताकि वह उससे जुड़ी जानकारी इकट्ठा कर पाए। यह वैज्ञानिकों की उपलब्धि ही तो है जिसकी बदौलत इंसान चांद पर कदम रखने में कामयाब हो पाया है। हो सकता है कि आने वाले समय में वैज्ञानिक आकाशगंगा और उससे जुड़े रहस्यों से पर्दा उठा पाने में कामयाब हो जाए। लेकिन तब तक आपको और हमें लंबा इंतजार करना पड़ेगा।

ये भी पढ़ें:

क्या होगा जब धरती पर होने लगेगी हीरे की बारिश

वायेजर के बाद इंटरस्टेलर में कौन सा यान जाएगा

महिलाओं के बारे में दिलचस्प बातें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here