साउथ कोरिया ने बनाया असली सूरज से भी खतरनाक सूरज

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South Korea’s artificial sun achieves 100 million degrees for 20 seconds, breaks world record

सूर्य हमारी धरती को ऊर्जा देने वाला मुख्य स्त्रोत है, जिसकी वजह से पेड़ पौधे जीव जंतु समेत मनुष्य को भोजन मिल पाता है। इसके अलावा सौर मंडल के सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं, इसलिए सूरज को ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत माना जाता है। सूर्य की तेज रोशनी से सोलर पैनल के जरिए बिजली तैयार की जाती है, हालांकि हर देश में सूरज की समान रोशनी पहुंच पाना मुश्किल है। यही वजह है कि ज्यादा मात्रा में ऊर्जा पैदा करने के लिए कई देश नकली सूरज बनाने की तैयारी कर रहे हैं और इस लिस्ट में चीन के बाद अब साउथ कोरिया का नाम भी शामिल हो गया है। तो आइए जानते हैं कि कैसे साउथ कोरिया नकली सूरज के जरिए ऊर्जा प्राप्त करेगा।

साउथ कोरिया का आर्टिफिशियल सूरज (South Korea’s artificial sun)

हमारे सौर मंडल को ऊर्जा देने वाला सूर्य बहुत ही गर्म और झुलसा देने वाला तापमान रखता है, ऐसे में कोई भी मशीन या इंसान सूर्य तक नहीं पहुंच सकता। हालांकि आज मनुष्य और विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि कुछ देश आर्टिफिशियल सूरज बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। खबरों की मानें तो चीन के बाद अब साउथ कोरिया ने भी अपना खुद का नकली सूरज बनाने में कामयाबी हासिल की है। यह आर्टिफिशियल सूरज 100 मिलियन डिग्री सेल्सियस से ज्यादा के तापमान पर 20 सेकंड तक चमक सकता है।

आपको बता दें कि साउथ कोरिया द्वारा बनाए गए इस नकली सूरज ने अब तक बनाए गए आर्टिफिशियल सूरज में सबसे ज्यादा देर तक चमकने का विश्व रिकॉर्ड भी कायम किया है। इतना ही नहीं साउथ कोरिया द्वारा बनाया गया सूरज असली सूर्य की तुलना में कई ज्यादा तापमान में चमकता है, जिसकी मदद से कम समय में बहुत ज्यादा ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। आपको बता दें कि असली सूर्य के केंद्र का औसत तापमान 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस तक होता है।

साउथ कोरिया के वैज्ञानिक पिछले कई सालों से आर्टिफिशियल सूरज बनाने के संदर्भ में काम कर रहे थे, इसके लिए उन्होंने Korea Superconducting Tokamak Advanced Research (KSTAR) नामक सुपर कंडक्टिंग फ्यूजन डिवाइस का इस्तेमाल किया और आर्टिफिशियल सूरज का निर्माण करने में सफलता हासिल की। इस फ्यूजन के लिए वैज्ञानिकों ने हाइड्रोजन से प्लाज्मा कलेक्ट किया, जो गर्म आयरन से बना होता है और उसका तापमान 100 मिलियन डिग्री तक पहुंच जाता है। आपको बता दें कि यह आयरन ही आर्टिफिशियल सूरज का उच्च तापमान बनाए रखने के लिए जरूरी होता है।

साउथ कोरिया के वैज्ञानिकों द्वारा बनाए गए इस आर्टिफिशियल सूरज ने 20 सेकंड तक 100 मिलियन डिग्री तक कृत्रिम रूप से चमक कर वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित किया है। कोरियाई इंस्टीट्यूट ऑफ फ्यूजन एनर्जी द्वारा विज्ञान में यह कामयाबी 24 नवंबर 2020 को सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी (एसएनयू) और अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय के साथ संयुक्त जांच में हासिल की थी।

South Korea's Artificial Sun Is Hotter Than Real Sun
Credit: cleanfuture

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि साल 2020 का फ्यूजन पिछले साल के प्लाज्मा ऑपरेशन से काफी आगे निकल गया, क्योंकि पिछले कृत्रिम सूर्य सिर्फ 8 सेकंड के लिए चमका था जबकि इस साल आर्टिफिशियल सूरज पूरे 20 सेकंड तक चमकता रहा। आपको बता दें कि इससे पहले साउथ कोरिया के Korean Institute of Fusion Energy (KFE) ने साल 2018 में KSTAR फ्यूजन के जरिए पहली बार 100 मिलियन डिग्री के तापमान पहुंचने में कामयाबी हासिल की थी, लेकिन उस समय कृत्रिम सूरज सिर्फ 1.5 सेकंड तक ही चमक पाया था। साउथ कोरिया के वैज्ञानिकों द्वारा रिलीज की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि इस संस्थान का लक्ष्य साल 2025 तक एक बार में फ्यूजन इग्निशन (Fusion ignition) के जरिए 300 सेकंड तक कृत्रिम सूर्य को चमकाना है।

चीन भी कर चुका है कृत्रिम सूर्य का प्रयोग

यह पहली बार नहीं जब किसी देश ने उच्च तापमान पर आर्टिफिशियल सूरज को चमकाने में कामयाबी हासिल की है, इससे पहले चीन भी नकली सूरज बनाने और उसे उच्च तापमान तक पहुंचाने में कामयाब हो चुका है। चीन ने अपने आर्टिफिशियल सूरज को 150 मिलियन डिग्री सेल्सियस पर चमकाने में सफलता हासिल की थी। हालांकि चीन के आर्टिफिशयल सूर्य को चमकाने की रिपोर्ट सिर्फ वहां के लोकल अखबारों में ही छपी थी, जबकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन द्वारा अब तक इस तरह का कोई दावा नहीं किया गया है।

नकली सूर्य के फायदे

जैसा कि हम जानते हैं कि सूरज धरती समेत दूसरे ग्रहों के लिए ऊर्जा प्राप्त करने का सबसे अच्छा और आसान स्त्रोत है, जिससे बिजली, पानी उत्पन्न किए जा सकते हैं और प्राणियों को भोजन की प्राप्ति होती है। ऐसे में हर देश अपने मुनाफे के लिए कृत्रिम सूरज का निर्माण करना चाहता है, ताकि वह ज्यादा से ज्यादा मात्रा में बिजली की खपत को पूरा कर सके। आज के समय में बिजली हर काम के लिए बहुत ही जरूरी हो गई है, कंपनी और फैक्ट्रियों में चल रहे काम बिना बिजली के पूरे नहीं हो सकते।

बिजली की ज्यादा खपत करने की वजह से धरती पर प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, जिसे कम करने के लिए सभी देश सौर ऊर्जा पर निर्भर हो रहे हैं। हालांकि एक सूर्य के लिए दुनिया भर में सौर ऊर्जा की खपत करना पाना बहुत ही मुश्किल काम है, क्योंकि हर देश का तापमान और भौगोलिक स्थितियां अलग हैं। ऐसे में आर्टिफिशियल सूरज बनाकर उसकी रोशनी से सौर ऊर्जा प्राप्त कर अपनी जरूरतों को पूरा करना और प्रकृति को नुकसान न पहुंचाने का एक आसान तरीका बन चुका है।

यही वजह है कि दुनिया भर के अलग अलग देश कृत्रिम सूर्य बनाने और उसका तापमान ज्यादा से ज्यादा देर तक बढ़ाए रखने की तकनीक पर काम कर रहे हैं। अगर कोई भी देश लंबे समय तक नकली सूर्य के तापमान को बनाए रखने की तकनीक को प्राप्त करने में कामयाब हो जाता है, तो वह दुनिया की नई महाशक्ति के रूप में उभर सकता है।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि चीन और साउथ कोरिया के बाद कौन सा देश कृत्रिम सूर्य बनाने और उसे ज्यादा देर तक चमकाने में कामयाबी हासिल करता है। आर्टिफिशियल सूरज का निर्माण और उससे सौर ऊर्जा प्राप्त करना विज्ञान और मनुष्य के लिए एक नई उपलब्धि हासिल करना होगा।

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