6 Unusual Holi Traditions across India
होली का त्योहार भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।इस मौके पर अनोखी परंपराएं देखने को मिलती हैं।कहीं फूलों से होली खेलने का चलन हैं तो कहीं रंग, गुलाल से। लेकिन कुछ जगह ऐसी हैं जहां होली कुछ अलग ही अंदाज में मनाई जाती है। जैसे- होली के दिन एक दूसरे पर अंगारे फेंकना, लड़की को भगाकर शादी करना, खूनी होली आदि। तो चलिए जानते हैं होली से जुड़ी अनोखी प्रथाओं के बारे में.
1.लड़की को भगाकर शादी करने की परंपरा
मध्यप्रदेश में एक ऐसी जगह हैं जहां होली पर लड़की को भगाकर शादी करने की परंपरा है।दरअसल भील आदिवासी समुदाय के लोग होली के मौके पर एक खास आयोजन करते हैं इस दौरान एक बाजार भी लगता है जिसे होली हाट करते हैं। बाजार में सभी होली की खरीददारी करने तो जाते ही हैं लेकिन इस दौरान यहां जीवनसाथी ढूंढने की भी परंपरा है। बाजार में आदिवासी लड़के एक खास तरह का वाद्य यंत्र बजाते हैं, नाचते गाते हैं। इस अवसर पर अगर कोई आदिवासी लड़का, किसी लड़की को गुलाल लगा दे और बदले में लड़की भी गुलाल लगा देती है तो माना जाता हैं कि दोनों शादी के लिए राजी है। रजामंदी के बाद लड़का-लड़की भागकर शादी कर लेते हैं। इस तरह आदिवासी समुदाय में होली के दिन लोग भागकर विवाह के बंधन में बंध जाते हैं।
2.एक दूसरे पर अंगारे फेंकने की परंपरा
मध्य प्रदेश में एक और ऐसी जगह हैं जहां लोग एक दूसरे पर अंगारे फेंकते हैं। ऐसा करने के पीछे धार्मिक मान्यता बताई जाती है।मालवा में होली के दिन खतरनाक परंपरा का चलन है। यहां के लोगों का कहना हैं कि ऐसा करने से होलिका राक्षसी का अंत हो जाता है। इसी तरह कर्नाटक के धाड़वाड़ जिले के बिड़ावली गांव में होली के दौरान अंगारों से होली खेलने की परंपरा है।
3.मातम मनाने की परंपरा
होली को खुशियों का त्योहार कहते हैं लेकिन राजस्थान में एक जगह ऐसी है जहां लोग होली के दिन खुशियां मनाने की बजाय, शोक में डूबे रहते हैं। चारों ओर अगर कुछ होता हैं कि तो सिर्फ मातम। पुष्करणा ब्राह्मण समाज के चोवटिया जोशी जाति के लोग होली के मौके पर खुशियां मनाने की बजाय शोक मनाते हैं। होलाष्टक से होली तक, यहां के लोग अपने घरों में चूल्हा तक नहीं जलाते। जैसे किसी की मृत्यु होने पर घर में शोक रहता है, कोई खाना पीना नहीं बनाता। चारों ओर सन्नाटा छाया रहता है। उसी तरह होली के दौरान यहां मातम से जुड़ी सारी रस्में अदा की जाती है। स्थानीय लोगों का कहना हैं कि कई साल पहले इसी समुदाय की एक महिला अपने बेटे को गोद में लेकर होलिका की परिक्रमा कर रही थी। तभी अचानक से उसका बच्चा होलिका की आग में गिर गया। अपनी बच्चे को बचाने के लिए महिला भी आग में कूद गई। लेकिन दोनों की मौत हो गई। तभी से यहां होली के दिन शोक मनाने की परंपरा चली आ रही है।
4.होलीमाल नाम की परंपरा
जबलपुर के नजदीक एक आदिवासी इलाका है जहां के लोग होली को अनोखे अंदाज में मनाते हैं। इस समुदाय के लोग होली पर होलीमाल नाम की परंपरा को फोलो करते हैं। कहते हैं कि यहां होलिका दहन के वक्त आग खुद ही जल उठती है। लोगों का कहना है कि ये आग दैवीय शक्ति की वजह से अपने आप जलती है। कुछ लोगों ने इसे परखने का प्लान बनाया। तभी से दैवीय चमत्कार खत्म हो गया और उसी के साथ होलिका की आग जलना बंद हो गई।
अब यहां के लोग होली के दिन लकड़ियां इकट्ठा कर होलीमाल नामक स्थान पर रखते हैं। लेकिन जलाते नहीं हैं। होली के दिन यहां पूजा पाठ तो किया जाता हैं लेकिन होलिका दहन नहीं। होलीमाल नामक स्थान पर लकड़ियां, घासफूस अर्पित किये जाते हैं। यहां से गुजरने वाला हर आदिवासी टहनियां जमा कर होलीमाल पर रखता है।
5.खूनी होली खेलने की परंपरा
राजस्थान में होली के दिन अजीबो गरीब रस्में निभाई जाती हैं। यहां के बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिले में रहने वाली जनजातियों के लोग होलिका दहन के अगले दिन आग पर चलते हैं। ये लोग अलग अलग टोलियों में बंटे होते हैं और एक दूसरे पर पत्थर बरसाती हैं। इसे लेकर लोगों की मान्यता है कि पत्थर की चोट से जो खून निकलता हैं उससे आने वाले दिन अच्छे बीतते हैं। इस तरह यहां एक दूसरे पर पत्थरबाजी करते हुए खूनी होली खेलने की अनोखी परंपरा है।
6. होली पर मुंह में तलवार डालने की परंपरा
उत्तर प्रदेश में एक ऐसी जगह है जहां लोग होली के दिन अपने शरीर को कष्ट पहुंचाते हैं। ये अजीबो गरीब परंपरा मेरठ से करीब 12 किमी. की दूरी पर बिजौली गांव में देखने को मिलती है। कहते हैं कि ये परंपरा करीब 200 साल से चली आ रही है। शरीर को घायल किया जाता है और फिर उन्हें तख्त से बांध दिया जाता है। पूरे गांव में सात तख्त निकाले जाते हैं। ये लोग गांव में परिक्रमा करते हैं जिसमें सभी गांव वाले शामिल होते हैं। होली का ये नजारा काफी हैरतअंगेज होता है।