120,000-Year-Old Human Footprints Found in Saudi Arabia
धरती में इंसान की उत्पत्ति कैसे हुई? यह सवाल आज तक हम सभी के लिए अनसुलझा है। भले ही इस सवाल को लेकर कई प्रकार की थ्योरी दुनिया के सामने है, लेकिन फिर भी धरती पर इंसान के शुरुआती जीवन को लेकर कुछ भी स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता है। ऐसे में सऊदी अरब में 1 लाख 20 हजार साल पुराने इंसान के पैरों के निशान मिले हैं, जो अपने आप में बहुत बड़ी चौंकाने वाली बात है।
उत्तरी सईदी में लैगून यानि छिछली झील के पास इंसान और कुछ बड़े जानवरों के पैरों के निशान मिलने के बाद वैज्ञानिकों का मानना है कि यह होमो सेपियंस (Homo Sapiens) के एक समूह के निशान हैं, जो झील के आस पास पानी और खाने की तलाश में आए थे। उस समूह के अलावा इस झील के पास ऊंट, भैंस और हाथी जैसे बड़े बड़े जानवर के पैरों के निशान भी मिले हैं, जो पानी पीने के लिए यहां इकट्ठा होते थे।
शोधकर्ताओं का मानना है कि छिछली झील पर मिले मानव पैरों के निशान यह बताते हैं कि उस समय के इंसान लगातार यात्रा करते रहते थे और सिर्फ पानी वाली जगह पर ही कुछ समय के लिए रूकते थे। पानी पीने और कुछ देर विश्राम करने के बाद वह दोबारा लंबी यात्रा पर निकल जाते थे।
इंसान के पूर्वजों का पता चल सकता है इतिहास
इस खोज के बाद शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है कि सऊदी अरब के नेफुड रेगिस्ताेन (Nefud Desert) में मिले इंसान के पैरों के इन निशानों से पता चल सकता है कि इंसानों के पूर्वज अफ्रीका से निकल कर दुनिया के अन्य हिस्सोंा में पहुंचे थे। उनका कहना है कि उस समय यह रेगिस्तान बेहद शुष्क रहा होगा, जिसकी वजह से इंसान और जानवरों के लिए यहां जीवन बिताना काफी मुश्किल हो गया होगा।
इसी वजह से इंसान के पूर्वज इस रेगिस्तान से बाहर निकल कर दुनिया के अन्य देशों की यात्रा पर निकल पड़े। लेकिन पिछले 10 सालों के अध्य यन से पता चलता है कि नेफुड रेगिस्तान का शुष्क माहौल हमेशा ऐसा नहीं रहा बल्कि यहां की जलवायु में नए नए बदलाव आए, जिसकी वजह से यह इलाका भी हरा भरा और नमी वाला हो गया। वर्तमान में इस स्थान पर घास के हरे-भरे मैदान और ताजे पानी की नदियां और झीलें मौजूद हैं।
साल 2017 में मिले थे पैरों के निशान
यह पहली बार नहीं है जब किसी झील के पास इंसान के पैरों के पुराने निशान मिले हैं, बल्कि इससे पहले साल 2017 में अलाथार झील (Alathar Lake) के पास भी ऐसे ही निशान खोजे गए थे। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह पैरों के निशान इंसान के पूर्वजों के इतिहास को समझने में मददगार साबित हो सकते हैं। क्योंकि इन्हीं के जरिए यह पता लगाया जा सकता है कि इंसान अपने शुरुआती समय में दुनिया के अलग अलग हिस्सों तक कैसे पहुंचा। हालांकि इतना तय है कि उस समय का मानव लंबी यात्राएं करके समूह के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचता था।
शोधकर्ताओं का मानना है कि वह आधुनिक मनुष्यों की तरह थे, जो जलवायु के साथ तालमेल बिठाना जानते थे। लेकिन पैरों के निशान के साथ शोधकर्ताओं को पत्थर से बने औजार नहीं मिले हैं, इसलिए उनका मानना है कि 1 लाख 20 हजार साल पहले धरती पर मौजूद इंसान जानवरों का शिकार नहीं करते थे। वह झील में सिर्फ पानी पीने आते थे और जानवरों को अपना दोस्त मानते थे।
इस जगह की तरफ क्यों बढ़े होंगे इंसान
पैरों के निशान के अलावा यहां 233 जीवाश्म (Fossils) भी पाए गए हैं, जो मानव जीवन में संसाधनों की मौजूदगी को दर्शाता है। दरअसल इस जगह पर खुले घास के मैदान और बड़े जल संसाधनों के साथ हाथी और हिप्पो जैसे बड़े जानवर भी मौजूद थे, जिसकी वजह से अफ्रीका और यूरेशिया के बीच घूमने वाले इंसान उत्तरी सऊदी अरब की तरफ आने लगे। यहां आने से उनकी भोजन संबंधी समस्या तो हल हो ही रही थी साथ में पानी की समस्या भी नहीं थी। हालांकि अब यह देखना दिलचस्प होगा कि शोधकर्ता इंसान के पूर्वजों के इतिहास से जुड़ी और कौन सी बातें सामने लाते हैं।
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