दिलवालों की दिल्ली में धड़कने बढ़ाने वाली एक ऐतिहासिक और डरावनी बावली भी है जिसे लोग अग्रसेन की बावली के नाम से जानते है। जो कनाट प्लेस से थोड़ी ही दूर हेली रोड पर स्थित है। यहां पर ‘झूम बराबर झूम’ और ‘पीके’, समेत कई बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। लेकिन पीके मूवी, की शूटिंग के बाद ये जगह और भी फेमस हो गई। अग्रसेन की बावली, दिल्ली के साथ-साथ भारत की भी सबसे डरावनी जगहों की लिस्ट में शामिल है।
अगर हम ‘अग्रसेन की बावली’ की बनावट और वास्तु की बात करें तो इसे देखकर ऐसा लगता है, जैसे कि ये लोदी के युग या फिर तुगलक वंश के दौरान बनाई होगी। लेकिन कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इस बावली को महाभारत के दौरान पौराणिक राजा अग्रसेन द्वारा बनाया गया था। जो उस समय अगरोहा शहर में रहते थे। ये अब हरियाणा राज्य के एक प्राचीन शहर है। इसकी लंबाई 60 मीटर और चौड़ाई 15 मीटर है। बावली एक हिंदी शब्द है और यह इसका मतलब ‘सीढ़ी वाली दीवार’ है। पुराने जमाने में पानी को बचाने के लिए इस तरह की बावली को बनाया जाता था। अग्रसेन की बावली भी, आस पास की जगहों के लिए लगातार पानी की आपूर्ति और यात्रियों के लिए एक जगह आराम प्रदान करने के लिए बनाई गई थी।
लोगों का कहना है कि यहाँ बुरी आत्माओं का बसेरा है। कई लोगों बार यहां परछाई और किसी के होने का एहसास होता है। शायद इसीलिए अग्रसेन की बावली को आत्माओं और भूतों का अड्डा भी कहा जाता है।
फिलहाल इसकी देखरेख आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) करती है। बावली के नीचे तक पहुंचने के लिए करीब 108 सीढियां उतरनी पड़ती है। किसी जमाने में ये हमेशा पानी से भरी रहती थी, भले अब यह सूख चुकी है लेकिन बीसवीं सदी के शुरुआत में दिल्ली की हालत वर्तमान जैसी नहीं थी, तब यहाँ छोटे-2 गाँव, कस्बे, ऐतिहासिक इमारतें, और बगीचे हुआ करते थे । कुएँ और बावलियाँ ही, उस समय पानी का स्त्रोत होती थी। इन बावलियों से ही लोगों की पानी की ज़रूरतों को पूरा किया जाता था। इतने समय तक पानी रहने की वजह से इस जगह आज भी गर्मियों के दिनों में ठंडक बनी रहती है इसीलिए डरावनी जगह होने के बावजूद भी यहां भीड़ ही रहती है। ये जगह डरावनी होने के साथ साथ ही बहुत शांत भी है ।
यहाँ आने वाले ज्यादातर लोगों में दिल्ली के कॉलेजों के छात्र-छात्राएँ और गर्मी के दिनों में आने वाले स्थानीय लोग शामिल हैं, जिन्हें यहाँ आकर अक्सर आराम मिलता है क्योंकि यह बावली शहर की तेज गर्मी से राहत प्रदान कराती है।
अग्रसेन की बावली के पानी के बारे में कई डरावनी कहानियां भी मशहूर हैं। कहा जाता है कि किसी ज़माने में इस बावली में काला पानी हुआ करता था जो जादुई था। जिसे पीने के बाद लोग आत्महत्याएं करने को मजबूर हो जाते थे। कई लोगों का कहना है कि ये जादुई पानी इतना ताकतवर था कि ये इसके आस पास आने वालों के अपनी ओर आकर्षित करता था। लोग इस पानी के देखतक सम्मोहित हो ते थे और इस पानी में कूद कर आत्महत्या कर लेते थे। इतना ही नहीं कई लोगों को आज भी रात के समय यहां अजीब-अजीब आवाजें सुनी हैं जो किसी को भी डरा दें, इसलिए यहां आनेवाले लोगों को अंधेरा होने के बाद कभी रुकने नहीं दिया जाता। यह दिल्ली की सबसे रहस्यमयी जगहों में शुमार है।
सीढ़ियों से बावली में नीचे उतरते ही, एक अजीब सी चुप्पी फैलने लगती है और गहरा अंधेरा छाने लगता है। जैसे जैसे आप सीढ़ियों से नीचे उतरेंगे वैसे वैसे अंधेरा और बढ़ने लगेगा जो इसे और भी डरावना बनाता है।यहां कबूतरों की गुटरगूँ और चमगादड़ की चीखें जब दीवारों में गूंजती हैं, तो बावली के माहौल को डरावना और भयानक बना देती हैं।बावली की सैर पर आए लोगों को कई बार किसी के पीछा करने का आभास हुआ है। जिसके बारे में लोगों का कहना कि 2007 में इस बावली में एक आत्महत्या की एक घटना हुई थी। तभी से यहां किसी एक काला साया नज़र आता है जो उनका पीछा करता है। इतना ही नहीं कुछ लोगों को बावली में किसी के रोने और चीखने की अवाजें भी सुनाई दी हैं। अग्रसेन की बावली इतनी डरावनी लगती है कि लोग यहां आकर दुबारा आने से तौबा कर लेते हैं।